स्त्री का शरीर एक मंदिर है, और स्त्री से संभोग करना एक पूजा है! और पूजा कभी भी जोर जबरदस्ती नहीं की जा सकती है।
इसलिए जब भी हम संभोग में उतरें तो सर्वप्रथम अपने पुरुषोचित अहंकार, अहम को त्याग दें।
पुरुषोचित अहंकार, अहम स्त्री के लिए कोई मायने नहीं रखता है, स्त्री चाहती है एक स्वच्छ हृदय…
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