अक्सर स्त्रियां पुरुष को अपना गुलाम समझ लेती है, लेकिन नहीं पुरुष स्त्रियों के गुलाम नहीं सेवक होते है। गुलाम सिर्फ मजबूरी में नौकरी करता है और सेवक खुशी खुशी सेवा करता है।
पुरुष का बाहरी आवरण भले ही नारियल की तरह कठोर हो वो दुनियां के सामने खुद को कुछ भी साबित करता रहे लेकिन पुरुष का सच सिर्फ उसकी स्त्री ही जानती है, कैसे बिस्तर पर पहुंच कर पुरुष स्त्री के तलवे से लेकर सर तक कि गुजारिश करता है कि उसे स्त्री संभोग की इजाजत दे, स्त्री के आंतरिक अंगों को चूमने से लेकर उनको चाटने तक की कोशिश करता है पुरुष, गिड़गिड़ाता है औरत से मनुहार करता है।
दिन भर पुरुष को हा में हा मिलाने वाली स्त्री उस समय अपने चरम उत्कर्ष में होती है वह बार बार मना करती है पुरुष को तड़पाती है।
पुरुष की तड़प देख स्त्री आनंदित होती है। 💋💅
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